यूरोपीय आयोग और यूरोपीय परिषद में क्या अंतर है? पीएम मोदी ने इसके प्रमुखों से की बात, जानें

 

यूरोपीय आयोग और यूरोपीय परिषद में क्या अंतर है? पीएम मोदी ने इसके प्रमुखों से की बात, जानें




Europe News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय आयोग और यूरोपीय परिषद के प्रमुखों से वार्ता की. इस मौके पर भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी पर जोर दिया गया. आइए जानें कि आखिर यूरोपीय आयोग और यूरोपीय परिषद में क्या अंतर है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा से बातचीत की. इस वार्ता में भारत-यूरोपीय संघ (EU) रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने, वैश्विक चुनौतियों का सामना करने और यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया गया. पीएम मोदी ने दोनों नेताओं को भारत आने का न्योता भी दिया. लेकिन जब हम ‘यूरोपीय संघ’ और ‘यूरोपीय परिषद’ का नाम सुनते हैं, तो मन में सवाल आता है कि आखिर ये संगठन हैं क्या? आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से. लेकिन उससे पहले जानते हैं कि आखिर यूरोपीय यूनियन क्या है?

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यूरोपीय संघ क्या है?

यूरोपीय संघ की नींव 1957 की ‘रोम संधि’ (Treaty of Rome) से पड़ी, और आधिकारिक रूप से यह 1993 की ‘मास्ट्रिच्ट संधि’ से अस्तित्व में आया. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोपीय देशों ने सोचा कि अगर आर्थिक और राजनीतिक तौर पर साथ आएंगे तो शांति और स्थिरता बनी रहेगी, जो इसका प्रमुख उद्देश्य था. आज इसमें 27 देश सदस्य देश हैं. इसका मुख्य कार्य एक साझा बाजार और मुद्रा (Euro) चलाना है. व्यापार, सुरक्षा, पर्यावरण और विदेश नीति पर सामूहिक फैसले भी ये लेता है. इसके अलावा यूरोप की एकजुट आवाज पेश करता है. बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में इसका मुख्यालय है. EU में ही यूरोपीय संसद है, जिसके जिसके सदस्य सीधे जनता की ओर से चुने जाते हैं. हर 5 साल में यूरोपियन चुनाव (European Elections) होते हैं. सभी 27 सदस्य देशों के नागरिक अपने-अपने सांसद चुनते हैं. इस संसद का काम कानून बनाना, EU से जुड़े बजट पास करना और आयोग पर निगरानी रखना होता है.

यूरोपीय आयोग किसे कहते हैं?

यूरोपीय आयोग (European Commission) यूरोपीय संघ की कार्यपालिका है, यानी वह संस्था जो संघ के फैसलों को अमल में लाती है. इसकी स्थापना 1958 की रोम संधि से हुई थी और इसका मुख्यालय ब्रसेल्स में है. आयोग की भूमिका दो हिस्सों में बंटी है- पहला, यह नए कानूनों और नीतियों का मसौदा तैयार करता है, जिन्हें बाद में यूरोपीय संसद और सदस्य देशों की परिषद मिलकर मंजूरी देती हैं. दूसरा, बने हुए नियमों का पूरे यूरोपीय संघ में समान पालन सुनिश्चित करता है. इस कारण आयोग को ‘संधियों का संरक्षक’ कहा जाता है
प्रतिस्पर्धा, उपभोक्ता अधिकार, डिजिटल बाजार, पर्यावरण मानक, डेटा सुरक्षा, व्यापार वार्ता, प्रतिबंध लागू करने और बजट खर्च जैसे मामलों में इसकी खास जिम्मेदारी होती है. नियम तोड़े जाने पर यह सदस्य देशों या कंपनियों पर कार्रवाई भी कर सकता है. आयोग में हर सदस्य देश से एक-एक कर 27 कमिश्नर होते हैं, जिन्हें देशों की सरकारें नामित करती हैं. अध्यक्ष उनके पोर्टफोलियो तय करते हैं और पूरी टीम को यूरोपीय संसद से मंजूरी लेनी होती है. मौजूदा अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन आयोग का चेहरा हैं. वे नीतिगत दिशा देती हैं, मसौदे आगे बढ़ाती हैं, संकट प्रबंधन करती हैं और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर EU का प्रतिनिधित्व करती हैं.

यूरोपीय परिषद क्या है?

यूरोपीय परिषद की स्थापना 1974 में एक अनौपचारिक मंच के तौर पर शुरू किया गया, और बाद में 2009 की लिस्बन संधि ने इसे आधिकारिक दर्जा दिया. इसमें EU के सभी 27 देशों के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति शामिल होते हैं. यूरोपीय संघ की रणनीतिक दिशा और प्राथमिकताएं तय करना. विदेश नीति और सुरक्षा जैसे बड़े फैसले ये लेता है. यह कानून नहीं बनाता, लेकिन EU की नीतियों का रोडमैप तैयार करता है. यूरोपीय आयोग में 27 कमिश्नर होते हैं. इन्हें सीधे जनता नहीं चुनती, बल्कि सदस्य देशों की सरकारें नामित करती हैं और फिर यूरोपीय संसद इन्हें मंजूरी देती है

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