कोर्ट ने जो अब किया, विजय माल्या देश आएं न आएं बैंक टेंशन नहीं लेंगे
विजय माल्या. वो बिज़नसमैन जिस पर देश का 9000 करोड़ लेकर भागने का आरोप है. इन दिनों लंदन में छुपा हुआ है. न्यू ईयर पर उसके लिए कोर्ट से बुरी खबर आई है. 5 जनवरी 2018 को प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग कोर्ट ने उसे आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया. कोर्ट ने भगोड़ा आर्थिक अपराध (एफईओ) एक्ट 2018 के तहत ये फैसला किया है. ये वही कानून है जिसे सरकार ने माल्या जैसे भगोड़ों के लिए अगस्त में बनाया था. इसी के तहत अब कोर्ट विजय माल्या की करीब 12.5 हज़ार करोड़ की संपत्ति जब्त कर सकती है. इसके लिए 5 फरवरी को सुनवाई होगी. इसी जब्ती के पैसे से बैंकों को उनके पैसे वापस दिए जाएंगे.
माल्या पर देश के 17 अलग-अलग बैंकों का करीब 9,400 करोड़ बकाया है. पिछले साल जुलाई में ईडी ने विशेष अदालत से माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून-2018 के तहत भगोड़ा घोषित करने के अपील की थी. जिसे मान लिया गया है. अब जो ईडी की दूसरी मांग थी कि वो माल्या की संपत्ति जब्त कर सके. उस पर सुनवाई होगी. कोर्ट माल्या की वो अपील पहले ही खारिज कर चुका है जिसमें उसने अपनी संपत्ति की जब्ती रोकने की अपील की थी.
माल्या के आरोपों की लिस्ट पर नज़र डालें तो मनी लॉन्ड्रिंग, लोन को डाइवर्ट करने मतलब जिस मकसद से लोन लिया गया, वहां ना लगाकर कहीं और यूज़ करने, किंगफ़िशर एयरलाइन्स में वित्तीय अनियमितताएं करने, सर्विस टैक्स नहीं चुकाने और विल्फुल डिफॉल्टर होने मतलब जानबूझकर पैसा न चुकाने के आरोप हैं. माल्या ने एसबीआई से सबसे ज्यादा 1600 करोड़ का कर्ज लिया था. इसके आलावा आईडीबीआई और पीएनबी दोनों के 800-800 करोड़ न चुकाने का भी आरोप है. माल्या के खिलाफ ईडी के आलावा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और सीबीआई की भी जांच चल रही है.
क्या है भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून?
देश के पैसे लेकर भागने वालों की बढ़ती तादाद को देखते हुए सरकार ने अगस्त 2018 में ये कानून बनाया है. इसके तहत भगोड़ा घोषित होने वाला विजय माल्या पहला अपराधी है. इस कानून के तहत 100 करोड़ से ज्यादा रुपयों का मामला होने पर प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग कोर्ट सेक्शन 12 के तहत अपराधी को भगोड़ा घोषित कर सकता है. एक्ट में अपराधी की भारत में संपत्ति जब्त करने का भी प्रावधान है जिससे कर्ज देने वालों के नुकसान की भरपाई की जा सके. विदेशों में संपत्ति जब्त करने को लेकर पहले संबंधित सरकार से बात की जाती है. इस एक्ट में अपराधी को किसी सिविल दावे का हक़ नहीं दिया गया है.
महीने भर के अंदर दूसरा झटका

Very good court jo kiya achha kiya
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