Dr Death Serial Killer: अनगिनत हत्या, किडनी ट्रांसप्लांट कर मगरमच्छ को खिला देता था शव, क्या था डॉक्टर डेथ का नया प्लान?
Doctor Death Devendra Sharma: "डॉक्टर डेथ" के नाम से कुख्यात देवेंद्र शर्मा ने अनगिनत हत्याएं कीं और किडनी ट्रांसप्लांट के बाद शवों को मगरमच्छों को खिला देता था. अब पता चला है कि उसने अपना नया ठिकाना बनाया था एक आश्रम, जहां वह लोगों का इलाज करने के बहाने अपनी फरारी काट रहा था.
Doctor Death Devendra sharma: डॉ. डेथ उर्फ देवेंद्र शर्मा, जिसे 100 लोगों की हत्या करने के आरोप में जाना जाता है, ने राजस्थान में 2 साल तक एक बाबा के रूप में अपना जीवन व्यतीत किया. वह दौसा के बांदीकुई में स्थित एक आश्रम में रहता था और प्रवचन देता था. उसने अपने साथी संतों को इतना प्रभावित किया था कि आश्रम कमेटी के मुख्य फैसले भी वही लेने लगा था. इतना ही नहीं, किडनी निकालने और शव मगरमच्छों को खिलाने जैसे घृणित अपराध करने वाला यह हत्यारा यहां एक क्लिनिक भी चलाने लगा था. मंगलवार, 20 मई को जब उसे आश्रम से पकड़ा गया, तब भी वह प्रवचन दे रहा था.
डॉ. डेथ, जिसे 100 लोगों की हत्या के आरोप में जाना जाता है, ने अपने आप को एक शक्तिशाली बाबा के रूप में प्रस्तुत किया था. वह दावा करता था कि वह किसी भी बीमारी का इलाज कर सकता है और अपने आश्रम में लोगों को आकर्षित करता था. हाल ही में पता चला है कि वह एक नए प्लान पर काम कर रहा था, जिसमें उसने अपने पीड़ितों को फंसाने के लिए नए तरीके अपनाए थे. बीते 2 साल में उसने आश्रम में कई गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें उसने अपने शिकारों को अपने जाल में फंसाया और उन्हें अपना शिकार बनाया. आइए जानते हैं डॉ. डेथ की आश्रम की इनसाइड स्टोरी और उसके द्वारा किए गए अपराधों के बारे में.
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देवेंद्र शर्मा, जिसे डॉ. डेथ के नाम से जाना जाता है, ने दयादास महाराज के नाम से अपना जीवन व्यतीत किया था. वह एक किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट से जुड़ा था और उसने 100 से अधिक लोगों की हत्या की है. इस घृणित अपराधी को 7 मामलों में उम्रकैद और एक मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी, और वह अपनी सजा का इंतजार कर रहा था. हालांकि, अगस्त 2023 में वह तिहाड़ जेल से पैरोल पर बाहर आया और इसके बाद से फरार हो गया था.
फरारी के दौरान, देवेंद्र शर्मा ने अपनी पहचान छुपाने के लिए कई जगहों पर अपना ठिकाना बदला और आखिरकार दौसा के रामेश्वरम धाम आश्रम में शरण ली. यहाँ उसने खुद को संत दयादास महाराज के नाम से पेश किया और अपनी असली पहचान छुपाई. पुलिस ने उसकी तलाश में उसकी पत्नी शिखा का फोन सर्विलांस पर रखा था, जो मुंबई में रहती थी. इस तरह पुलिस ने उसके ठिकाने का पता लगाया और उसे गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की.
देवेंद्र शर्मा की पत्नी शिखा के फोन पर जयपुर के एक अनजान नंबर से कॉल आई, जिसके बाद प्रयागराज से भी एक ऐसी ही कॉल आई. हालांकि, इन कॉल्स से पुलिस को देवेंद्र के बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिली. लेकिन जब कुछ महीनों बाद बांदीकुई के नेटवर्क से अनजान नंबरों से एक और कॉल आई, तो पुलिस को कुछ सुराग मिले. इस तीसरी कॉल ने पुलिस को देवेंद्र के ठिकाने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी, जिससे उसकी गिरफ्तारी में मदद मिली.
बांदीकुई में नंबर ट्रेस करने के बाद, क्राइम ब्रांच के 2 अधिकारी वहां पहुंचे और उन्होंने एक 20-21 साल के युवक से पूछताछ की. युवक ने बताया कि कॉल उसने नहीं की थी, बल्कि रामेश्वरम धाम आश्रम में रहने वाले बाबाजी ने की थी. इसके बाद, 2 पुलिसकर्मी आश्रम पहुंचे और देखा कि देवेंद्र जैसे हुलिए वाला एक बाबा प्रवचन दे रहा था और लोगों का इलाज भी कर रहा था. पुलिसकर्मियों ने मरीज बनकर प्रवचन सुने और जब पहचान पुख्ता हो गई, तो उन्होंने देवेंद्र को दबोच लिया.
क्राइम ब्रांच ने देवेंद्र की क्राइम फाइल के आधार पर उसके होने का शक यकीन में बदल दिया और टीम ने उसे पकड़ने के लिए कार्रवाई की. मंगलवार को जब देवेंद्र प्रवचन दे रहा था, तभी पुलिस टीम ने उसे दबोच लिया और दिल्ली ले गई. स्थानीय निवासी फूलवती देवी और उनके पति आश्रम के सामने एक प्लॉट में रहते हैं और मटके बनाने का काम करते हैं. फूलवती के अनुसार, संत दयादास महाराज 2023 के आखिरी महीनों में इस आश्रम में आया था और तब से वह यहां रह रहा था.
फूलवती देवी के अनुसार, संत दयादास महाराज के नाम से प्रसिद्ध देवेंद्र शर्मा प्रवचन देता था और लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता था. कुछ ही दिनों में उसने बाबा और संत महात्माओं जैसी ड्रेस भी सिलवा ली थी. प्रवचन देने के दौरान उसने लोगों का इलाज भी शुरू कर दिया था और दावा करता था कि उसके पास हर बीमारी का इलाज है. फूलवती बताती हैं कि वह लोगों को दवा देता था और एक बार कोई उसके पास आ जाता तो उसे वापस नहीं जाने देता था. वह दवाई जयपुर से मंगवाता था और अपने पास आने वाले लोगों का इलाज करने का दावा करता था.
फूलवती देवी के अनुसार, देवेंद्र शर्मा ने लोगों को ऐसा फंसाया कि कुछ ही समय में लोगों की लाइन लग गई. उसके इलाज के कारण एक मरीज की मौत भी हो चुकी थी, लेकिन बड़ा आदमी होने के कारण मामला रफा-दफा हो गया था. पूर्व सरपंच छोटेलाल सैनी बताते हैं कि देवेंद्र संत बनकर वहां रह रहा था और उसने ग्राम वासियों को विश्वास दिलाया कि मंदिर में कुछ खामियां हैं और वह मंदिर के निर्माण और अन्य खामियों को ठीक करने में उनकी मदद करेगा. इस तरह उसने लोगों का विश्वास जीता और अपने आप को एक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में स्थापित किया.
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ग्रामीणों को देवेंद्र शर्मा ने उत्साहित कर दिया था और उसने उन्हें विश्वास दिलाया था कि वह मंदिर के निर्माण और अन्य खामियों को ठीक करने में उनकी मदद करेगा. उसने साधू-संतों के रहने की व्यवस्था और शौचालय जैसे कामों को करवाने का लालच दिया था, जिससे ग्रामीण उसका सहयोग करने लगे थे. हालांकि, ग्राम पंचायत प्रशासक कैलाश चौधरी ने बताया कि देवेंद्र ने बालाजी ट्रस्ट के नाम से वृद्धाश्रम खोलने की अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्होंने इसकी अनुमति नहीं दी क्योंकि उनका मानना था कि यह वृद्धाश्रम ग्रामीणों और पंच-पटेलों की सहमति और एक राय से बनना चाहिए.
जनकपुर के संत बालशरण नाथ ने बताया कि वह पिछले माह 5 दिन आश्रम में रुके थे और उस वक्त उन्होंने दयादास महाराज को बहुत दयालु और स्नेही संत के रूप में देखा था. वे हमेशा धार्मिक भक्ति भाव में डूबे रहते थे और भगवान शंकर, राम व राधा-कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हुए श्रद्धालुओं को भगवान का यथार्थ बताते थे. हालांकि, संत बालशरण नाथ ने कभी नहीं सोचा था कि दयादास महाराज इतना बड़ा अपराध कर चुका होगा. उन्होंने यह भी बताया कि दयादास महाराज ने मंदिर के पास ही वृद्ध आश्रम खोलने का प्लान बनाते हुए 60 हजार रुपए सालाना में एक मकान किराए पर लिया था.
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देवेंद्र शर्मा ने वृद्ध आश्रम खोलने के लिए 60 हजार रुपए सालाना में एक मकान किराए पर लिया था और इसका उद्घाटन 26 मई को होना था. इसके लिए उसने ग्राम पंचायत में एनओसी के लिए आवेदन किया था, लेकिन स्वीकृति नहीं मिली थी कि इससे पहले ही उसकी गिरफ्तारी हो गई. बता दें कि देवेंद्र शर्मा ने साल 1993 से 2001 तक बांदीकुई कस्बे में जनता क्लीनिक चलाया था, जिससे वह इस इलाके से परिचित था और काफी लोगों से उसकी जान-पहचान थी. फरारी के दौरान उसने बांदीकुई को चुना और आश्रम में रहकर लोगों को इलाज करने के बहाने बेवकूफ बनाता रहा.
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