Zara, Nike सहित सभी विदेशी ब्रांड को सरकार ने दिया झटका, एक फैसले से कंपनियां परेशान, खरीदारी पर भी होगा असर
GST on Garment : जीएसटी परिषद ने गारमेंट पर टैक्स की दर 12 से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया है. इसका असर विदेशी ब्रांड के कपड़ों पर पड़ेगा, क्योंकि इस ब्रांड के ज्यादातर कपड़े 29 डॉलर यानी 2,500 रुपये से अधिक होते हैं
नई दिल्ली. जीएसटी परिषद की ओर से टैक्स में बदलाव किए जाने के बाद माना जाता है कि साबुन से लेकर लग्जरी एसयूवी तक सबकुछ सस्ता हो जाएगा. लेकिन, इन सुधारों के तहत कुछ चीजों पर जीएसटी की दरें बढ़ा दी गई हैं, जिसका असर जारा, नाइक सहित तमाम विदेशी ब्रांड पर बढ़ा है. जीएसटी परिषद ने 29 डॉलर यानी करीब 2,500 रुपये से ज्यादा कीमत वाले कपड़ों पर जीएसटी की दर 12 से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दी है. इस फैसले से विदेशी ब्रांड के कपड़े और महंगे हो जाएंगे और इन कपड़ों की बिक्री कम हो जाएगी.
Datum Intelligence के अनुसार, प्रीमियम वियर सेगमेंट भारत के 70 अरब डॉलर के कपड़ा उद्योग का लगभग 18% हिस्सा है, जो भारत में बढ़ते अमीरों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं. अभी तक 2,500 रुपये से कम कीमत वाले परिधानों पर 5 फीसदी से कम टैक्स लगता था, जबकि इससे ज्यादा महंगे कपड़ों पर 12 फीसदी टैक्स लगता है. अब इस दर को बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया गया है. इससे PVH Corp, Marks and Spencer, Gap Inc, Under Armour, Nike, H&M और जापान के Uniqlo जैसे ब्रांड्स पर दबाव बढ़ेगा
प्रॉफिट कम होने का डर
एक विदेशी ब्रांड के सीईओ ने कहा कि रिटेल बहुत ही कम मार्जिन पर काम करता है और किराये जैसे ओवरहेड्स बहुत ज्यादा होते हैं. फैशन कंपनियां ज्यादा टैक्स के प्रभाव से बिक्री को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि यह कपड़े पहले से ही महंगे हैं और जीएसटी बढ़ाए जाने से कीमत और बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से हमें जिस ग्रोथ की उम्मीद थी, वह अब नहीं होगी. 2,500 रुपये कोई लग्जरी नहीं होती है. आज यह कीमत सामान्य हो गई है. टैरिफ से वैसे भी भारत का कपड़ा उद्योग प्रभावित है, ऊपर से जीएसटी की वजह से इस पर दबाव ज्यादा हो गया है
एक विदेशी ब्रांड के सीईओ ने कहा कि रिटेल बहुत ही कम मार्जिन पर काम करता है और किराये जैसे ओवरहेड्स बहुत ज्यादा होते हैं. फैशन कंपनियां ज्यादा टैक्स के प्रभाव से बिक्री को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि यह कपड़े पहले से ही महंगे हैं और जीएसटी बढ़ाए जाने से कीमत और बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से हमें जिस ग्रोथ की उम्मीद थी, वह अब नहीं होगी. 2,500 रुपये कोई लग्जरी नहीं होती है. आज यह कीमत सामान्य हो गई है. टैरिफ से वैसे भी भारत का कपड़ा उद्योग प्रभावित है, ऊपर से जीएसटी की वजह से इस पर दबाव ज्यादा हो गया है
आम आदमी की जेब पर असर
भारतीय कपड़ा निर्माता संघ का कहना है कि 2,500 रुपये से ज्यादा के कपड़ों पर जीएसटी बढ़ाना इस उद्योग को और ज्यादा नुकसान में धकेल सकता है. 2,500 रुपये से ज्यादा की कीमत वाले अधिकतर खरीदार मिडिल क्लास के हैं. इससे जाहिर है कि जीएसटी बढ़ाने से मिडिल क्लास पर ही इसका ज्यादा असर होगा. उदाहरण के लिए, सुपरड्राई ब्रांड के ज्यादातर प्रोडक्ट पर 18 फीसदी जीएसटी ही लगेगा. इसमें से 90 फीसदी उत्पादों की कीमत 30 डॉलर से ज्यादा ही रहती है
भारतीय कपड़ा निर्माता संघ का कहना है कि 2,500 रुपये से ज्यादा के कपड़ों पर जीएसटी बढ़ाना इस उद्योग को और ज्यादा नुकसान में धकेल सकता है. 2,500 रुपये से ज्यादा की कीमत वाले अधिकतर खरीदार मिडिल क्लास के हैं. इससे जाहिर है कि जीएसटी बढ़ाने से मिडिल क्लास पर ही इसका ज्यादा असर होगा. उदाहरण के लिए, सुपरड्राई ब्रांड के ज्यादातर प्रोडक्ट पर 18 फीसदी जीएसटी ही लगेगा. इसमें से 90 फीसदी उत्पादों की कीमत 30 डॉलर से ज्यादा ही रहती है
भारतीय ब्रांड पर भी असर
कपड़ा संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जीएसटी बढ़ाने के बाद सिर्फ विदेशी ब्रांड पर ही नहीं, घरेलू कपड़ा कंपनियों पर भी इसका असर पड़ेगा. जैसे भारत के अरविंद फैशन के पास टॉमी हाईफायर और कैल्विन क्लिन जैसे ग्लोबल ब्रांड का घरेलू फ्रेंचाइजी का अधिकार है. यह भारतीय कंपनी अमेरिका सहित तमाम देशों में अपना प्रोडक्ट निर्यात करती है. विदेशी ब्रांड के निर्यात में भारत की इस कंपनी की हिस्सेदारी 30 फीसदी है. इसके अलावा लुलुलेमोन एथलेटिका साल 2026 में भारतीय बाजार में प्रवेश करने की योजना बना रहा है. जीएसटी बढ़ने से उसके कारोबार पर असर होगा और वह कदम पीछे ले सकती है
कपड़ा संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जीएसटी बढ़ाने के बाद सिर्फ विदेशी ब्रांड पर ही नहीं, घरेलू कपड़ा कंपनियों पर भी इसका असर पड़ेगा. जैसे भारत के अरविंद फैशन के पास टॉमी हाईफायर और कैल्विन क्लिन जैसे ग्लोबल ब्रांड का घरेलू फ्रेंचाइजी का अधिकार है. यह भारतीय कंपनी अमेरिका सहित तमाम देशों में अपना प्रोडक्ट निर्यात करती है. विदेशी ब्रांड के निर्यात में भारत की इस कंपनी की हिस्सेदारी 30 फीसदी है. इसके अलावा लुलुलेमोन एथलेटिका साल 2026 में भारतीय बाजार में प्रवेश करने की योजना बना रहा है. जीएसटी बढ़ने से उसके कारोबार पर असर होगा और वह कदम पीछे ले सकती है
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