Educate Girls: खुद छोड़नी पड़ी पढ़ाई, 20 लाख लड़कियों को पहुंचाया स्‍कूल, कौन हैं सफीना?

 

Educate Girls: खुद छोड़नी पड़ी पढ़ाई, 20 लाख लड़कियों को पहुंचाया स्‍कूल, कौन हैं सफीना?



Educate Girls, Safeena Husain: सफीना हुसैन एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी की मुश्किलों को पीछे छोड़कर लाखों लड़कियों की जिंदगी में रोशनी भरी. दूसरी की दुनिया रौशन करने वाली सफीना को कभी खुद की पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी

Educate Girls, Safeena Husain: सफीना हुसैन की संस्था एजुकेट गर्ल्स ने हाल ही में 2025 में रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड जीता, जिसे एशिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है. यह पहली बार है जब किसी भारतीय नान गर्वनमेंट ऑर्गनाइजेशन(NGO)को यह सम्मान मिला है.ऐसे में आइए जानते हैं कि ये सफीना कौन हैं और उनकी जर्नी कैसे शुरू हुई?

Safeena Husain Biography: शिक्षा ने बदली जिंदगी

सफीना हुसैन का जन्म 1971 में दिल्ली में हुआ. उनका बचपन आसान नहीं था. गरीबी,घरेलू हिंसा और मुश्किल हालातों ने उनके रास्ते में कई रुकावटें खड़ी कीं. एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा. परिवार चाहता था कि उनकी जल्दी शादी कर दी जाए, लेकिन एक रिश्तेदार आंटी ने उनका साथ दिया.उन्हें अपने घर में जगह दी और पढ़ाई दोबारा शुरू करने में मदद की.
यहीं से उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया. सफीना ने 1987 से 1989 तक दिल्‍ली के डीपीएस स्‍कूल आरके पुरम से पढ़ाई की. इसके बाद वह 1992 से 1995 तक सफीना ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डेवलपमेंट स्टडीज (LSE) में डिग्री हासिल की.सफीना ने एक इंटरव्‍यू में बताया कि शिक्षा ने मेरी जिंदगी बदल दी.इस अनुभव ने उन्हें यह अहसास कराया कि अगर एक लड़की को पढ़ने का मौका मिले तो वह न सिर्फ अपनी जिंदगी,बल्कि अपने पूरे परिवार और समाज को बेहतर बना सकती है.

भारत लौटकर शुरू किया मिशन

2005 में सफीना भारत लौटीं.सफीना ने बताया कि एक बार उन्‍होंने कुछ माता पिता को कहते सुना कि बेटी ही क्यों हुई? इसका क्या करोगे? शादी कर दो.इन बातों ने उन्हें अंदर तक हिला दिया. उन्होंने ठान लिया कि वह लड़कियों की शिक्षा के लिए कुछ करेंगी. 2007 में उन्होंने राजस्थान में एजुकेट गर्ल्स की नींव रखी. 
उनका मकसद था कि ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में रहने वाली 5 से 14 साल की उन लड़कियों को स्कूल भेजा जाए, जो पढ़ाई से वंचित हैं. शुरुआत राजस्थान के पाली और जालौर जिले के 50 गांवों से हुई. आज यह संगठन राजस्थान,मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश और बिहार के 30,000 से ज्यादा गांवों में काम कर रहा है

20 लाख से ज्यादा लड़कियों को पहुंचाया स्कूल


एजुकेट गर्ल्स ने अब तक 20 लाख से ज्यादा लड़कियों को स्कूल में दाखिला दिलाया है.एजुकेट गर्ल्‍स की इस पहल से 1.55 करोड़ लोगों की जिंदगी पर असर पडा है. खास बात यह है कि वे सिर्फ स्कूल में दाखिला कराने तक नहीं रुकते. वे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि बच्चियां स्कूल में टिकें और पढ़ाई में बेहतर करें. इसके लिए वे टीम बालिका नाम से 55,000 वॉलंटियर्स की टीम के साथ काम करते हैं. 
ये वॉलंटियर्स गांव-गांव जाकर उन परिवारों को समझाते हैं जो अपनी बेटियों को स्कूल भेजने में हिचकते हैं.संगठन ने प्रगति नाम का एक प्रोग्राम भी शुरू किया जिसके तहत 15 से 29 साल की 31,500 युवतियों को ओपन स्कूलिंग के जरिए पढ़ाई पूरी करने में मदद की जाती है. इसके अलावा 2015 में दुनिया का पहला डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड शुरू किया गया जिसने राजस्थान में दाखिला और पढ़ाई के नतीजों को बेहतर किया.

Ramon Magsaysay Award 2025: और मिल गया मैग्सेसे अवॉर्ड

31 अगस्त 2025 को मनीला में रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड फाउंडेशन ने एजुकेट गर्ल्स को इस सम्मान से नवाजा. फाउंडेशन ने कहा कि यह पुरस्कार लड़कियों की शिक्षा के जरिए सांस्कृतिक रूढ़ियों को तोड़ने, उन्हें कौशल, हिम्मत और आजादी देने के लिए दिया गया है. सफीना की अगुवाई में यह संगठन न सिर्फ शिक्षा दे रहा है,
 बल्कि समाज में गहरे बैठे सोच को भी चुनौती दे रहा है.सफीना ने एक इंटरव्‍यू में कहा कि गरीबी एक समस्या है, लेकिन पितृसत्ता उससे भी बड़ी चुनौती है. सोच बदलने के लिए समाज का साथ जरूरी है.

Safeena Husain life:हंसल मेहता से हुई है शादी

सफीना की शादी मशहूर फिल्ममेकर हंसल मेहता से हुई है जो सामाजिक मुद्दों पर फिल्में बनाते हैं. उनके पिता यूसुफ हुसैन बॉलीवुड अभिनेता थे, जिनका 2021 में कोविड-19 के कारण निधन हो गया.सफीना की कहानी और उनका काम लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है. वह कहती हैं कि एक लड़की को पढ़ाने का असर सिर्फ उसकी जिंदगी तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह पूरे परिवार और समाज को बदल देता है. उनका लक्ष्य है कि 2035 तक 1 करोड़ बच्चों तक उनकी पहुंच हो और उनका मॉडल दुनिया भर में अपनाया जाए
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