UP : यूपी में आउटसोर्स कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले, साल में 48000 रुपये अधिक मिलेगी सैलरी, इतना बढ़ा मानदेय
UP : उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए कई अहम फैसले लिए गए. आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती तीन साल की होगी और उनकी सैलरी भी बढ़ा दी गई है.
UP : उत्तर प्रदेश में काम कर रहे आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है. प्रदेश सरकार ने मानदेय में 4000 रुपये का इजाफा करते हुए इसे 16000 से बढ़ाकर 20 हजार रुपये महीने कर दिया है। साथ में आउटसोर्स कर्मचारी की मृत्यु होने पर 15000 रुपये की सहायता राशि भी मिलेगी. कर्मचारियों की सैलरी में चार हजार रुपये इजाफा करने के बाद अब उन्हें साल में 48000 रुपये अधिक सैलरी मिलेगी.
सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवा शर्तों में सुधार को भी मंजूरी दी गई. इसे साथ ही कर्मचारियों की नियुक्तियों में आरक्षण बढ़ाने को भी मंजूरी मिली.
बता दें कि सरकारी विभागों और संस्थानों के आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाओं का मैनेजमेंट उत्तर प्रदेश आउटसोर्सिंग सेवा निगम के माध्यम से किया जाता है, जो जो कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुच्छेद 8 के तहत गठित एक गैर-वित्तीय, गैर-लाभकारी सार्वजनिक कंपनी है.
ई-मार्केटप्लेस पोर्टल से सेवा प्रदाताओं का चयन
राज्य के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए पत्रकारों को आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवा शर्तों में सुधार के प्रस्ताव को मंजूरी दी. उन्होंने कहा कि निगम सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पोर्टल के माध्यम से सेवा प्रदाताओं का चयन करेगा. उन्होंने आगे कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों को प्रति माह 26 कार्य दिवसों के लिए नियुक्त किया जाएगा, उन्हें प्रत्येक माह की पहली और पाँच तारीख के बीच मानदेय मिलेगा और उनकी नियुक्ति अवधि तीन साल की होगी.
कर्मचारी की मृत्यु होने पर मिलेंगे 15000 रुपये
खन्ना ने बताया कि सेवा के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु होने पर अंतिम संस्कार के लिए 15,000 रुपये दिए जाएंगे. उन्होंने आगे बताया कि यह आरक्षण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, पूर्व सैनिकों, स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों, दिव्यांगजनों और महिलाओं के लिए आउटसोर्सिंग आधारित नियुक्तियों में लागू होगा.
खन्ना ने कहा, “अब तक, मानदेय या वेतन के रूप में दी जाने वाली राशि सेवा प्रदाता के खाते में जमा की जाती थी, जिसके कारण शिकायतें आती थीं कि कर्मचारियों को उनका पूरा वेतन नहीं मिल रहा है.” उन्होंने आगे कहा, “सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आउटसोर्स कर्मचारियों को सम्मानजनक वेतन, बेहतर सेवा शर्तें और आरक्षण का लाभ मिले.
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