FIIs ने कर दी जुल्म की इंतिहा, अब और कितना दर्द सहेंगे शेयर बाजार के निवेशक? इस मोदी मंत्र से उम्मीद

 

FIIs ने कर दी जुल्म की इंतिहा, अब और कितना दर्द सहेंगे शेयर बाजार के निवेशक? इस मोदी मंत्र से उम्मीद



भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली से निवेशकों को बड़ा नुकसान हो रहा है. जुलाई-अगस्त में वित्तीय और आईटी सेक्टर में बड़ी बिकवाली हुई. FIIs ने 2025 से अब तक 1.4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली की है. जीएसटी सुधार और मजबूत जीडीपी ग्रोथ से सुधार की उम्मीद है

भारतीय शेयर बाजार इस समय एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है. आम निवेशक के लिए यह समय काफी तनाव भरा है, क्योंकि लगातार दो महीनों से विदेशी निवेशक बड़े पैमाने पर अपने निवेश निकाल रहे हैं. बड़ी समस्या ये है कि जिन कंपनियों को भारत के ‘क्राउन ज्वेल्स’ मतलब ‘ताज में जड़े हीरे’ कहा जाता था, उन्हीं से 60,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली हो चुकी है. आम आदमी के लिए यह खबर डराने वाली हो सकती है, क्योंकि इसका असर सिर्फ बड़े निवेशकों पर नहीं, बल्कि म्यूचुअल फंड, पीएफ और छोटे निवेशकों के रिटर्न पर भी पड़ सकता है. बाजार में जो बेचैनी है, वह लोगों के मन में यह सवाल खड़ा कर रही है कि आखिर निवेशक ऐसा क्यों कर रहे हैं और इसका आगे क्या असर हो सकता है.

एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, FIIs ने जुलाई में 5,900 करोड़ रुपये के फाइनेंशियल सेक्टर के शेयर बेचे और अगस्त में यह आंकड़ा बढ़कर 23,288 करोड़ रुपये पहुंच गया. आईटी सेक्टर पर भी असर पड़ा और जुलाई में 19,901 करोड़ रुपये तथा अगस्त में 11,285 करोड़ रुपये के शेयर बेचे गए.
HSBC के विश्लेषण के अनुसार, “टेक कंपनियां वैश्विक सुस्ती का सामना कर रही हैं,” यही कारण है कि आईटी सेक्टर पर सबसे ज्यादा दबाव देखने को मिल रहा है. वहीं वित्तीय क्षेत्र की हालत घरेलू दबाव से बिगड़ रही है. एचएसबीसी का कहना है कि बैंकों को कमजोर मांग और बढ़ती क्रेडिट लागत का सामना करना पड़ रहा है, जिससे वे मौजूदा सुस्ती में ज्यादा संवेदनशील हो गए हैं

लगातार बिकवाली कर रहे हैं FIIs

कुल मिलाकर, 2025 की शुरुआत से अब तक FIIs लगातार नेट सेलर रहे हैं और उनकी कुल बिकवाली 1.4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंच गई है. इसका असर केवल फाइनेंस और आईटी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि ऑयल एंड गैस, पावर, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, हेल्थकेयर, रियल्टी और एफएमसीजी जैसे सेक्टर्स में भी विदेशी फंड्स ने पैसे निकाले हैं. ब्रोकरेज फर्म एंजेल वन के एक्सपर्ट कहते हैं कि FIIs बड़े शेयरों में बिकवाली कर रहे हैं और चुनिंदा रूप से मिडकैप व स्मॉलकैप शेयरों में हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं.
पिछले एक साल में सेंसेक्स और निफ्टी ने निगेटिव रिटर्न दिए हैं और भारतीय शेयर बाजार अन्य उभरते बाजारों से करीब 24 प्रतिशत पॉइंट कमजोर प्रदर्शन कर रहा है. एचएसबीसी का कहना है कि “पिछले 11 महीनों में से 6 महीने एफआईआई ने अपनी होल्डिंग कम की है. ईपीएस की वृद्धि पिछले पांच तिमाहियों से सिंगल डिजिट में है, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगा रहा है.”

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तो बाजार में बढ़ सकता है दबाव

गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, “भारत का आवंटन वैश्विक एक्टिव म्यूचुअल फंड में करीब दो दशक के निचले स्तर पर है.” वहीं, एचएसबीसी का कहना है कि सेकेंडरी मार्केट में भी बिजनेस ओनर्स अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं, जिससे अगर घरेलू निवेशक उतनी खरीद न करें तो बाजार पर और दबाव बढ़ सकता है.
हालांकि सबकुछ नकारात्मक नहीं है. जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के डॉ. वी.के. विजयरकुमार को उम्मीद है कि जीएसटी सुधार और मजबूत जीडीपी ग्रोथ से FY26 और FY27 में कमाई की ग्रोथ बढ़ सकती है. उनका कहना है कि “इससे FIIs वापस भारत के खरीदार बन सकते हैं और बाजार में रैली शुरू हो सकती है.” लंबे समय में भारत की आबादी, लोकतंत्र और बेहतर नीतियां इसे फिर से निवेश की पसंदीदा जगह बना सकती हैं. जीएसटी सुधार ही मोदी सरकार का वह मंत्र है, जिससे बेहतरी की उम्मीद की जा रही है
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