Explainer: 'सिन गुड्स' यानि हानिकारक वस्तुएं क्या हैं, उन पर क्यों जबरदस्त GST लगाया
आखिर क्या होते हैं सिन गुड्स, जिन पर जीएसटी ढांचे में "सिन गुड्स" और विलासिता की वस्तुओं पर 40% जीएसटी स्लैब पेश किया गया है. जो पहले से काफी ज्यादा है. ये 22 सितंबर से लागू हो जाएगा
जीएसटी काउंसिल ने जब 3 सितंबर को मीटिंग की तो उसमें उसने 40 फीसदी कर की वस्तुओं का एक ग्रुप बना दिया, जिसने उसने सिन गुड़्स कहा, इन वस्तुओं को अगर वास्तविक हिंदी में देखें तो उन्हें पाप वस्तुएं कहेंगे हालांकि उन्हें हानिकारक वस्तुएं कहना ज्यादा बेहतर होगा. इस ग्रुप में विलासिता की वस्तुएं भी शामिल हैं. नया कर 22 सितंबर से पूरे देश में लागू हो जाएगा.
आइए पहले जानते हैं कि सिन गुड्स यानि पाप वस्तुएं या हानिकारक वस्तुएं कौन सी हैं. उन पर क्यों इतना तगड़ा जीएसटी लगा दिया गया.
सवाल – क्या होते हैं सिन गुड्स, क्या वो हानिकारक होते हैं?
– सिन गुड्स (Sin Goods) वे वस्तुएं या सेवाएं हैं,जिन्हें समाज या सरकार द्वारा नैतिक, सामाजिक या स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक माना जाता है, लेकिन जिनका इस्तेमाल या उपभोग लोग फिर भी करते हैं. इन पर अक्सर सरकारें उच्च कर (जैसे सिन टैक्स) लगाती हैं ताकि इनके उपयोग को हतोत्साहित किया जा सके और राजस्व प्राप्त हो. जैसे
तंबाकू उत्पाद (जैसे सिगरेट, बीड़ी)
शराब (जैसे बियर, व्हिस्की)
जुआ (लॉटरी, कैसीनो)
अन्य नशीले पदार्थ (जैसे ड्रग्स, जहां कानूनी हो)
अस्वास्थ्यकर भोजन (जैसे उच्च चीनी या वसा वाले खाद्य पदार्थ, कुछ देशों में)
तंबाकू उत्पाद (जैसे सिगरेट, बीड़ी)
शराब (जैसे बियर, व्हिस्की)
जुआ (लॉटरी, कैसीनो)
अन्य नशीले पदार्थ (जैसे ड्रग्स, जहां कानूनी हो)
अस्वास्थ्यकर भोजन (जैसे उच्च चीनी या वसा वाले खाद्य पदार्थ, कुछ देशों में)
नहीं, दुनिया भर में “सिन गुड्स” शब्द का उपयोग हर जगह नहीं होता. उनके लिए अलग अलग शब्द हैं लेकिन ये बात सही है कि इन चीजों का इस्तेमाल हर समाज में अनुचित ही माना गया है. इन्हें समाज या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है.
इन वस्तुओं को “निषिद्ध वस्तुएँ” या “अनैतिक उत्पाद” जैसे शब्दों से जोड़ा जा सकता है. कुल मिलाकर, “सिन गुड्स” एक पश्चिमी अवधारणा है, लेकिन इनके लिए हर भाषा में शब्द हैं.
सवाल – सबसे पहले सिन टैक्स कहां शुरू हुआ?
– “सिन टैक्स” की अवधारणा का इतिहास पुराना है. प्राचीन मिस्र, रोम, और अन्य सभ्यताओं में शराब, तंबाकू और विलासिता की वस्तुओं पर कर लगाए जाते थे. रोमन साम्राज्य में शराब और अन्य विलासिता की वस्तुओं पर कर लगाया जाता था.
वैसे आधुनिक अर्थों में “सिन टैक्स” की शुरुआत का श्रेय अक्सर संयुक्त राज्य अमेरिका को दिया जाता है. 18वीं और 19वीं शताब्दी में अमेरिका में शराब और तंबाकू पर कर लगाए गए थे. 1791 में अमेरिका में व्हिस्की टैक्स लागू किया गया, जिसे सिन टैक्स का शुरुआती रूप माना जा सकता है. इस टैक्स ने 1794 में व्हिस्की विद्रोह को भी जन्म दिया, जो इसे ऐतिहासिक बनाता है
19वीं शताब्दी में यूरोप में विशेषकर ब्रिटेन और फ्रांस में तंबाकू और शराब पर भारी कर लगाए गए. ये कर न केवल राजस्व के लिए थे, बल्कि सामाजिक सुधार के लिए भी थे. 20वीं शताब्दी में सिन टैक्स का उपयोग और व्यापक हुआ. भारत में सिन टैक्स ब्रिटिश राज में शुरू हुआ. हालांकि आधुनिक भारत में सिन टैक्स का स्पष्ट उपयोग जीएसटी लागू होने के बाद देखा गया, जब तंबाकू, शराब, और पान मसाला जैसे उत्पादों पर 28% जीएसटी के साथ अतिरिक्त सेस लगाया गया.
सवाल – सिन टैक्स लगाने के बाद भी क्या इन वस्तुओं के इस्तेमाल पर कोई असर पड़ता है?
– बेशक सरकार इन पर मोटा टैक्स लगा लें लेकिन इनकी मांग कम नहीं होती.वैसे ‘सिन गुड्स’ के अलावा अति-विलासिता उत्पादों और सेवाओं पर भी सबसे अधिक कर लगाया जाता है.
सवाल – भारत में वो सिन गुड्स क्या हैं, जिन पर 40 फीसदी जीएसटी लगाया गया है?
– ये वस्तुएं इस तरह हैं – पान मसाला, सिगरेट, गुटखा, चबाने वाला तंबाकू, अनिर्मित तम्बाकू और तम्बाकू अपशिष्ट (पत्तियों को छोड़कर), सिगार, सिगार और सिगारिलो (तंबाकू के विकल्प सहित), कूल ड्रिंक्स, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, जिनमें फल-आधारित और फलों के जूस, कैफीनयुक्त पेय पदार्थ, 350 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाली मोटरसाइकिलें, कारें (1,200 सीसी से अधिक पेट्रोल या 1,500 सीसी से अधिक). साथ में बोट्स, पर्सनल प्लेन, हेलिकॉप्टर्स, रेसिंग कारें, घुड़दौड़, सट्टेबाजी, कैसीनो, लॉटरी और आईपीएल जैसे कुछ खेल आयोजनों में इंट्री टिकट. अब इन वस्तुओं पर प्रभावी कर दर करीब 40% हो गई
सवाल – शराब इस सूची में क्यों नहीं है?
– शराब फिलहाल जीएसटी के दायरे में नहीं है. राज्य सरकारें शराब पर कर लगाती हैं. आमतौर पर शराब पर कर और शुल्क अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होते हैं. इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ISWAI) के अनुसार, मादक पेय पदार्थों की कीमतों में 67 से 80% तक कर का योगदान होता है.
सवाल – कोई भी सरकार सिन गुड्स रोक क्यों नहीं लगाती?
– सरकारें सिन गुड्स (जैसे शराब, तंबाकू, जुआ, आदि) पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने से बचती हैं, क्योंकि इसके कई आर्थिक, सामाजिक, और व्यावहारिक कारण हैं. इनके जरिए सरकारें भारी कर लगाती हैं और राजस्व हासिल करती हैं. भारत में तंबाकू और पान मसाला जैसे सिन गुड्स से जीएसटी और सेस के जरिए सालाना हजारों करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है. सिन गुड्स से संबंधित उद्योग रोजगार और व्यापार को बढ़ावा देते हैं.
सिन गुड्स पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने से इनका अवैध व्यापार बढ़ सकता है. फिर पूरी तरह रोक लगाने से सामाजिक विद्रोह या असंतोष हो सकता है. इतिहास में सिन गुड्स पर पूर्ण प्रतिबंध की कोशिशें (जैसे अमेरिका में 1920-1933 का शराब प्रतिबंध) अक्सर विफल रही हैं. भारत में भी सिन गुड्स राज्यों के लिए इतना बड़ा राजस्व स्रोत हैं कि इन पर रोक से राजस्व का बहुत नुकसान होगा
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