पहले फ्रांस-जर्मनी, अब EU चीफ ने की पीएम मोदी से बात, यूक्रेन में शांति का दरवाजा भारत ही खोलेगा?

 

पहले फ्रांस-जर्मनी, अब EU चीफ ने की पीएम मोदी से बात, यूक्रेन में शांति का दरवाजा भारत ही खोलेगा?



यूक्रेन युद्ध में शांति की कोशिशों में भारत की भूमिका बढ़ी, पीएम नरेंद्र मोदी ने उर्सुला वॉन डेर लेयेन और एंटोनियो कोस्टा से चर्चा की, EU भारत की सक्रियता चाहता है.

क्‍या यूक्रेन में शांत‍ि का दरवाजा भारत खोलेगा? यह सवाल इसल‍िए क्‍योंक‍ि यूक्रेन युद्ध को लेकर शांति की कोशिशें तेज हो गई हैं और इसमें भारत की भूमिका लगातार मजबूत होती जा रही है. पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की थी. उसके बाद जर्मनी के विदेश मंत्री भारत आए और अब यूरोपीय संघ (EU) आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने भी पीएम मोदी से फोन पर चर्चा की है. यूरोपीय यूनियन चाहता है क‍ि भारत इस संकट के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाए. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की भी पहले कई बार प्रधानमंत्री मोदी से बात कर चुके हैं.

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यूरोपीय यूनियन की चीफ उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने एक्‍स पर लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत करने का सौभाग्य प्राप्त किया. भारत का यूक्रेन राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ जुड़ाव स्वागत योग्य है. रूस को उसकी आक्रामकता की इस युद्ध को समाप्त करना चाहिए और शांति की राह खोलनी चाहिए. इसमें भारत की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. यह युद्ध न सिर्फ यूरोप बल्कि पूरे विश्व की सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को कमजोर कर रहा है. यही कारण है कि भारत जैसे प्रभावशाली देश की पहल अहम हो जाती है.
पीएम मोदी ने क्‍या बताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्‍स पर लिखा, यूरोपीय काउंस‍िल के चेयरमैन एंटोनियो कोस्टा और यूरोपीय यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ बात हुई. इसमें ट्रेड, टेक्‍नोलॉजी, इन्‍वेस्‍टमेंट, इनोवेशन, डिफेंस, सिक्‍योरिटी और सप्‍लाई चेन की मजबूती जैसे मुद्दों पर बात हुई. हमने भारत यूरोपीय संघ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट जल्‍द करने पर सहमत‍ि जताई. हमने यूक्रेन संकट खत्‍म करने के प्रयासों पर भी चर्चा की. पीएम मोदी ने दोनों नेताओं को भारत-यूरोपीय यूनियन शिखर सम्मेलन के ल‍िए भारत आने का न्‍योता द‍िया.
क्यों भारत है सबकी नजर में?
भारत ने शुरू से ही यूक्रेन युद्ध पर संतुलित और स्वतंत्र रुख अपनाया है. एक तरफ भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कई बार युद्ध विराम और संवाद की अपील की. दूसरी तरफ उसने रूस से तेल आयात जारी रखा और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा की. पीएम मोदी का बयान – यह युद्ध का युग नहीं है – दुनिया भर में शांति का प्रतीक संदेश बन गया. इसी वजह से रूस और यूक्रेन दोनों भारत पर भरोसा करते हैं, जबकि पश्चिमी देश भारत को मध्यस्थता के संभावित सेतु के रूप में देखते हैं.
पहले फ्रांस और जर्मनी भी आए आगे
इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पीएम मोदी से बातचीत कर भारत से यूक्रेन मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की थी. मैक्रों और मोदी के बीच हुई चर्चा में ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा सहयोग और यूक्रेन शांति जैसे अहम विषय शामिल थे. इसके बाद जर्मनी के विदेश मंत्री भी भारत आए थे। उन्होंने कहा कि भारत और जर्मनी मिलकर अंतरराष्ट्रीय संकटों में समाधानकारी शक्ति बन सकते हैं.

जेलेंस्की भी कर चुके अपील
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की पहले ही कई बार पीएम मोदी से सीधे बातचीत कर चुके हैं. उनका मानना है कि भारत एक ऐसा देश है जिस पर रूस भी भरोसा करता है और पश्चिम भी. इसीलिए भारत की मध्यस्थता किसी समाधान का रास्ता खोल सकती है. उर्सुला ने पीएम मोदी के साथ बातचीत में यह भी कहा कि आने वाले समय में भारत और EU के रिश्ते और गहरे होंगे. 2026 में होने वाले भारत–EU शिखर सम्मेलन में दोनों पक्ष संयुक्त रणनीतिक एजेंडा पर सहमति बनाने की योजना में हैं. इस साल के अंत तक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की बातचीत पूरी करने का भी लक्ष्य रखा गया है. EU का मानना है कि भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक स्थिर और विश्वसनीय साझेदार है.
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