नेहरू की मंगवाई कार बनी तलाक की वजह!सुनकर लोग बोले- सच में ये भी हो सकता है?
Supreme Court News: नेहरू द्वारा मंगाई गई दुर्लभ रोल्स रॉयस कार तलाक की वजह बनी. सुप्रीम कोर्ट ने समझौते के बाद दंपति का रिश्ता खत्म किया. मामला उपहारों, गहनों और करोड़ों की डील से सुलझा.
नई दिल्ली: शादी टूटने की वजह अकसर समझदारी, भरोसा या आपसी झगड़े होते हैं, लेकिन यहां मामला बिल्कुल अलग निकला. सुप्रीम कोर्ट ने एक कपल का विवाह खत्म कर दिया और वजह बनी 1951 मॉडल की एक क्लासिक रोल्स रॉयस कार. जिसे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बड़ौदा की तत्कालीन महारानी के लिए मंगवाया था.
यह मामला जितना अनोखा है, उतना ही चौंकाने वाला भी. महिला ने आरोप लगाया कि पति और ससुरालवालों ने उसी दुर्लभ रोल्स रॉयस और मुंबई के एक फ्लैट की मांग की थी. जब यह मांग पूरी नहीं हुई तो शादी में कड़वाहट बढ़ गई और आखिरकार रिश्ता खत्म करने की नौबत आ गई.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और समझौता
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम. पंचोली की पीठ ने इस मामले में समझौते को रिकॉर्ड पर लिया. समझौते के मुताबिक पति महिला को कुल 2.25 करोड़ रुपए देगा. 31 अगस्त तक एक करोड़ और बाकी 1.25 करोड़ रुपए 30 नवंबर तक. कोर्ट ने कहा कि अब पति-पत्नी के बीच न तो वैवाहिक और न ही कोई अन्य रिश्ता रहेगा
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम. पंचोली की पीठ ने इस मामले में समझौते को रिकॉर्ड पर लिया. समझौते के मुताबिक पति महिला को कुल 2.25 करोड़ रुपए देगा. 31 अगस्त तक एक करोड़ और बाकी 1.25 करोड़ रुपए 30 नवंबर तक. कोर्ट ने कहा कि अब पति-पत्नी के बीच न तो वैवाहिक और न ही कोई अन्य रिश्ता रहेगा
उपहारों और गहनों पर भी बनी डील
समझौते के अनुसार महिला अपने पति से मिले सारे उपहार अपने पास रखेगी, जबकि पति को सगाई की अंगूठी और अन्य कीमती सामान लौटाना होगा. इन गहनों को एक करोड़ रुपए के डिमांड ड्राफ्ट के साथ सौंपा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अब इस मामले को “पूर्ण और अंतिम समझौता” माना जाएगा और दोनों पक्ष सोशल मीडिया पर भी एक-दूसरे को बदनाम नहीं करेंगे.
समझौते के अनुसार महिला अपने पति से मिले सारे उपहार अपने पास रखेगी, जबकि पति को सगाई की अंगूठी और अन्य कीमती सामान लौटाना होगा. इन गहनों को एक करोड़ रुपए के डिमांड ड्राफ्ट के साथ सौंपा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अब इस मामले को “पूर्ण और अंतिम समझौता” माना जाएगा और दोनों पक्ष सोशल मीडिया पर भी एक-दूसरे को बदनाम नहीं करेंगे.
कौन हैं ये पति-पत्नी?
महिला ग्वालियर की रहने वाली हैं और दावा करती हैं कि उनका परिवार बेहद प्रतिष्ठित है. उनके पूर्वज छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना में एडमिरल रहे और कोंकण क्षेत्र के शासक भी घोषित हुए थे. वहीं पति सेना से जुड़े परिवार से आते हैं और मध्यप्रदेश में एक शैक्षणिक संस्थान चलाते हैं.
महिला ग्वालियर की रहने वाली हैं और दावा करती हैं कि उनका परिवार बेहद प्रतिष्ठित है. उनके पूर्वज छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना में एडमिरल रहे और कोंकण क्षेत्र के शासक भी घोषित हुए थे. वहीं पति सेना से जुड़े परिवार से आते हैं और मध्यप्रदेश में एक शैक्षणिक संस्थान चलाते हैं.
क्यों खास है यह रोल्स रॉयस?
यह वही रोल्स रॉयस है जिसे एचजे मुलिनर एंड कंपनी ने खासतौर पर बड़ौदा की महारानी चिमनाबाई साहिबा गायकवाड़ के लिए हाथ से बनाया था. इसे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनकी ओर से मंगवाया था. यह कार आज तक अपनी तरह का एक ही मॉडल है और वर्तमान कीमत ढाई करोड़ रुपए से ज्यादा मानी जाती है.
यह वही रोल्स रॉयस है जिसे एचजे मुलिनर एंड कंपनी ने खासतौर पर बड़ौदा की महारानी चिमनाबाई साहिबा गायकवाड़ के लिए हाथ से बनाया था. इसे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनकी ओर से मंगवाया था. यह कार आज तक अपनी तरह का एक ही मॉडल है और वर्तमान कीमत ढाई करोड़ रुपए से ज्यादा मानी जाती है.
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आरोप-प्रत्यारोप की लंबी जंग
महिला का आरोप था कि ससुराल वालों ने दहेज में कार और मुंबई फ्लैट की मांग रखी और मांग पूरी न होने पर उनका चरित्र हनन शुरू कर दिया. वहीं पति ने इन आरोपों से इनकार किया और उल्टा पत्नी व उसके परिवार पर शादी के दस्तावेज़ में धोखाधड़ी करने का केस दर्ज कराया. मामला पहले ग्वालियर हाईकोर्ट गया, लेकिन वहां से राहत न मिलने पर यह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
महिला का आरोप था कि ससुराल वालों ने दहेज में कार और मुंबई फ्लैट की मांग रखी और मांग पूरी न होने पर उनका चरित्र हनन शुरू कर दिया. वहीं पति ने इन आरोपों से इनकार किया और उल्टा पत्नी व उसके परिवार पर शादी के दस्तावेज़ में धोखाधड़ी करने का केस दर्ज कराया. मामला पहले ग्वालियर हाईकोर्ट गया, लेकिन वहां से राहत न मिलने पर यह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
आखिरकार तलाक पर मुहर
लंबे विवाद और आरोप-प्रत्यारोप के बाद सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता और केरल हाईकोर्ट के पूर्व जज आर. बसंत को मध्यस्थ नियुक्त किया. उनकी कोशिशों के बाद दोनों पक्ष समझौते पर पहुंचे और इस अजब-गजब केस का अंत तलाक से हुआ
लंबे विवाद और आरोप-प्रत्यारोप के बाद सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता और केरल हाईकोर्ट के पूर्व जज आर. बसंत को मध्यस्थ नियुक्त किया. उनकी कोशिशों के बाद दोनों पक्ष समझौते पर पहुंचे और इस अजब-गजब केस का अंत तलाक से हुआ
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