India EU Trade Deal: अमेरिका से पहले उसके दोस्तों से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करेगा भारत! पीएम मोदी–पीयूष गोयल के बयान से मिले संकेत
India EU free Trade Deal: डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के बाद भारत ने EU के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, पीएम मोदी और पीयूष गोयल ने संकेत दिए, जिससे व्यापार और निवेश के नए अवसर खुलेंगे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया तो लगा कि बड़ा झटका होगा. लेकिन भारत ने दूसरे रास्ते खोलने शुरू कर दिए हैं. जहां दुनिया की निगाहें भारत–अमेरिका फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर टिकी थीं, वहीं अब संकेत मिल रहे हैं कि भारत पहले अमेरिका के दोस्तों यानी यूरोपीय यूनियन (EU) के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के बयान से इसके संकेत मिले हैं.
यूरोपीय यूनियन की चीफ उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने पीएम मोदी से फोन पर बात की तो फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर भी चर्चा हुई. खुद पीएम मोदी ने इसके बारे में जानकारी दी. उन्होंने लिखा, यूरोपीय यूनियन और यूरोपीय काउंसिल के चीफ ने भारत-यूरोपीय यूनियन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट जल्द पूरा करने की बात कही है. इससे पहले पीयूष गोयल ने एक टीवी इंटरव्यू में जानकारी दी कि यूरोपीय आयोग के ट्रेड कमिश्नर मारोस शेफकोविक 11 सितंबर को नई दिल्ली आएंगे. इस दौरान भारत और यूरोपीय संघ के बीच चल रही मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वार्ताओं को आगे बढ़ाया जाएगा. इससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि भारत अमेरिका से पहले उसके रणनीतिक सहयोगियों के साथ समझौता करने के करीब है.
भारत–EU FTA क्यों अहम?
- भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापारिक संबंध लंबे समय से मजबूत हैं.
- यूरोपीय यूनियन भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है.
- 2022-23 में भारत–EU का कुल व्यापार लगभग 135 बिलियन डॉलर तक पहुंचा.
- भारत को सबसे ज्यादा निर्यात यूरोप के देशों में ही होता है, जिसमें टेक्सटाइल, फार्मा, जेम्स–ज्वेलरी और IT सेवाएं अहम हैं.
- यदि FTA होता है तो
- भारत को यूरोपीय बाजार में कम टैरिफ और आसान एक्सेस मिलेगा.
- भारतीय उद्योगों के लिए नए निवेश और रोजगार के अवसर खुलेंगे.
- यूरोप को भारत से आईटी सेवाएं, फार्मा और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बड़ा फायदा होगा.
अमेरिका से पहले यूरोप पर क्यों जोर?
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच कई टैरिफ अभी भी लंबित हैं. अमेरिकी बाजार में कृषि और मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों को लेकर सख्त नियम भारत के लिए चुनौती बने हुए हैं. वहीं, यूरोप ने हाल के वर्षों में भारत के साथ निवेश और ग्रीन टेक्नोलॉजी सहयोग पर ज्यादा ध्यान दिया है - ये भी पढ़े
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