नेशनल हाईवे खुला, तो किसी ने हथियार छोड़े! जानिए मणिपुर में हुए शांति समझौते के क्या होंगे बड़े बदलाव?
Manipur News: मणिपुर में केंद्र और कुकी जो काउंसिल के बीच शांति समझौते से हालात सुधरने की उम्मीद बढ़ी है. NH-2 खुलने से राहत सामग्री पहुंचना आसान होगा और हजारों विस्थापित लोग घर लौटने की संभावना जता रहे हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संभावित मणिपुर यात्रा से कुछ दिन पहले केंद्र सरकार को बड़ी सफलता मिली है. सरकार ने हिंसा प्रभावित राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में एक बड़ी सफलता की घोषणा की है. इसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि अन्य हथियारबंद संगठन भी सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SoO) पर अपनी सहमति देंगे. माना जा रहा है कि इस प्रक्रिया से करीब छह हज़ार लोग हिंसा का रास्ता छोड़ शांति की ओर बढ़ सकते हैं.
2008 में हुए सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस एग्रीमेंट के तहत सशस्त्र संगठनों को हिंसक गतिविधियों और सुरक्षाबलों पर हमलों से दूर रहने पर सहमति बनी थी. लेकिन 2023 में मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद कई संगठनों ने इसकी शर्तें नहीं मानीं. राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद जून 2025 में केंद्र सरकार ने फिर बातचीत शुरू की और गुरुवार को यह अहम घोषणा की गई कि सरकार और कुकी जो काउंसिल के बीच एक त्रिपक्षीय शांति समझौता हुआ है. अब उम्मीद है कि दर्जनभर से ज्यादा संगठन भी शांति का रास्ता अपनाएँगे.बता दें कि इस बार का मानसून उत्तर भारत पर कहर बनकर टूटा है. हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हरियाणा में अब तक 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. लगातार हो रहे भूस्खलन, अचानक आई बाढ़ और गिरते मकानों ने हालात को और डरावना बना दिया है.
राष्ट्रीय राजमार्ग खोला गया
2023 से जारी हिंसा के कारण अब तक 60 हज़ार से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं. नए समझौते से इनमें से कई लोगों के अपने घर लौटने की उम्मीद बढ़ी है. साथ ही, रिलीफ कैंपों तक रोजमर्रा की जरूरी चीजे पहुंचाने में भी आसानी होगी, क्योंकि इस समझौते के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग-02 (NH-2) को खोल दिया गया है.
सरकार ने दावा किया कि कुकी नागरिक समाज समूहों ने NH-2 पर स्वतंत्र आवाजाही की अनुमति दे दी है. यह हाईवे कुकी और मैतेई-प्रधान क्षेत्रों को जोड़ने वाला एक अहम मार्ग है.
कुकी समूहों के साथ नया समझौता
समानांतर रूप से, केंद्र ने कुकी समूहों के साथ नया SoO समझौता किया है, जिसके तहत वे अपने शिविरों को मैतेई-बहुल इलाकों से दूर ले जाएंगे और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखेंगे. अगर यह पूरी तरह लागू होता है, तो मई 2023 से जारी जातीय संघर्ष में यह एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है. खास बात यह है कि यह समझौता पीएम मोदी की हिंसा शुरू होने के बाद मणिपुर की पहली यात्रा से ठीक पहले हुआ है.
समानांतर रूप से, केंद्र ने कुकी समूहों के साथ नया SoO समझौता किया है, जिसके तहत वे अपने शिविरों को मैतेई-बहुल इलाकों से दूर ले जाएंगे और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखेंगे. अगर यह पूरी तरह लागू होता है, तो मई 2023 से जारी जातीय संघर्ष में यह एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है. खास बात यह है कि यह समझौता पीएम मोदी की हिंसा शुरू होने के बाद मणिपुर की पहली यात्रा से ठीक पहले हुआ है.
हालांकि, गृह मंत्रालय की घोषणा के कुछ घंटे बाद कुकी जो काउंसिल (KZC) ने स्पष्टीकरण जारी किया. उन्होंने कहा कि उनकी सहमति को बफर ज़ोन में पूरी तरह स्वतंत्र आवाजाही के समर्थन के रूप में न समझा जाए. इससे साफ है कि समझौते की शर्तों को लेकर अब भी कुछ असहमति या गलतफहमी बनी हुई है. फिलहाल, स्थिति बेहद नाज़ुक है और सबकी नज़र इस पर है कि समझौते की शर्तों को जमीनी स्तर पर कैसे लागू किया जाता है
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