Indus Water Treaty: भारत ने पाक‍िस्‍तान को बाढ़ की चेतावनी क्यों दी, जब इंडस वॉटर ट्रीटी सस्पेंड है?

 

Indus Water Treaty: भारत ने पाक‍िस्‍तान को बाढ़ की चेतावनी क्यों दी, जब इंडस वॉटर ट्रीटी सस्पेंड है?



भारत ने तवी नदी की बाढ़ चेतावनी देकर यह साबित किया कि संधि निलंबित होने के बावजूद वह अंतरराष्ट्रीय मानवीय दायित्वों का पालन कर रहा है. यह केवल कानूनी बाध्यता नहीं, बल्कि ड‍िप्‍लोमैट‍िक मैसेज भी है क‍ि भारत आतंकवाद और आतंकियों को बख्शने वाला नहीं है, लेकिन प्राकृतिक आपदा से निर्दोष लोगों की जान बचाने के लिए हर कदम उठाएगा.

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने अप्रैल में ऐलान किया था कि इंडस वॉटर ट्रीटी (IWT) को ‘अबेयंस’ यानी निलंब‍ित रखा जाएगा. इसका मतलब था कि दोनों देशों के वाटर कमिश्‍नर के बीच नियमित बैठकों और डाटा-शेयरिंग जैसी गतिविधियां रोक दी जाएंगी. लेकिन रविवार को भारत ने तवी नदी में आई ‘हाई फ्लड’ की जानकारी पाकिस्तान को कूटनीतिक चैनलों के जर‍िये दी. अब सवाल उठता है क‍ि अगर इंडस वॉटर ट्रीटी सस्पेंड है, तो भारत ने पाक‍िस्‍तान को यह सूचना क्यों दी?

पहली बात, इंडस वॉटर ट्रीटी में 12 आर्टिकल और 8 एनेक्सचर हैं. यह कहता है क‍ि पूर्वी नदियां यानी सतलुज, ब्यास, रावी पर भारत का पूरा अध‍िकार होगा. इसका पानी भारत पूरा इस्‍तेमाल कर सकेगा. जबक‍ि पश्चिमी नदियां यानी सिंधु, झेलम, चेनाब पाकिस्तान के हिस्से में होंगी. लेकिन भारत को हाइड्रोपावर और सिंचाई के ल‍िए इस्‍तेमाल करने की अनुमत‍ि दी गई है. बाढ़ के बारे में जानकारी देने वाली बात एनेक्सचर H में है. इसमें कहा गया है कि दोनों देश जल स्तर और बाढ़ की स्थिति से संबंधित सूचनाएं एक-दूसरे से साझा करेंगे. अब तक यह काम दोनों देशों के इंडस वाटर कमिश्नर करते थे.
संधि सस्पेंड होने के बाद क्या स्थिति?
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी को सस्‍पेंड कर द‍िया. इसका साफ मतलब है क‍ि वाटर कमिश्नरों की बातचीत और तकनीकी स्तर पर डाटा शेयरिंग नहीं होगी. लेकिन संधि पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है. इसलिए भारत ने पाकिस्तान को तवी नदी की बाढ़ की जानकारी सीधे विदेश मंत्रालय के जरिए दी, न कि वाटर कमिश्नर के जरिए. मैसेज अभी भी साफ है क‍ि पानी पर कोई डेटा शेयर नहीं क‍िया जाएगा
तो क्यों दी बाढ़ की चेतावनी?
सूत्रों के मुताबिक- भारत ने मानवीय आधार पाक‍िस्‍तान को चेताया. भारत मानता है क‍ि बाढ़ किसी सीमा को नहीं देखती. तवी नदी जम्मू से बहकर पाकिस्तान में प्रवेश करती है. वहां चेतावनी न देने पर बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हो सकता था. दूसरा, भारत दुन‍िया को यह संदेश देना चाहता है कि वह जिम्मेदार पड़ोसी है, भले ही आतंकवाद को लेकर सख्त रवैया रखे. अब आते हैं तकनीकी बात पर. सस्‍पेंशन का मतलब यह नहीं है क‍ि बाढ़ से जुड़ा डेटा रोक द‍िया जाए. वैसे सरकार चाहे तो ऐसा कर सकती है, यह सरकार के विवेक पर निर्भर करता है
कौन सा क्लॉज लागू होता है?
संधि का एनेक्सचर H, पैराग्राफ 9 कहता है…दोनों पक्ष पानी के बहाव, पानी के लेवल और बार‍िश से जुड़ी जानकारी रोज शेयर करेंगे. यहीं से आता है क‍ि फ्लड डेटा का आदान-प्रदान जरूरी है. हालांकि संधि निलंबित होने से यह बाध्यता फिलहाल नहीं है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून कहता है कि ट्रांसबाउंड्री रिवर्स पर अचानक बाढ़ या आपदा की स्थिति में ऊपरी देश यानी भारत को निचले देश यानी पाक‍िस्‍तान को चेतावनी देना चाहिए. भारत ने यही नियम माना है.

क्या पहले भी हुआ ऐसा?
2014 में जब झेलम में बाढ़ आई तो भारत ने पाकिस्तान को एडवांस फ्लड वार्निंग दी थी.
2020 में चिनाब में जब पानी छोड़ा गया तो भारत ने पाकिस्तान को पहले ही सूचना दी थी.
भारत का मैसेज क्‍ल‍ियर
कूटनीत‍िक मामलों के जानकारों की मानें तो भारत ने ऐसा कर पाकिस्तान को संदेश दिया कि हम आतंक पर सख्त हैं, लेकिन मानवीय दायित्व निभाना जानते हैं. बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा पर सूचना साझा करना भारत की गुडव‍िल डिप्‍लोमेसी है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का पक्ष मजबूत होता है
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