Cabinet Decisions : आपके घर में पड़े कचरे से 'खजाना' निकालेगा भारत, मोदी सरकार ने प्रोजेक्‍ट पर लगा दी मुहर

 

Cabinet Decisions : आपके घर में पड़े कचरे से 'खजाना' निकालेगा भारत, मोदी सरकार ने प्रोजेक्‍ट पर लगा दी मुहर



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने कचरे को रीसाइलक‍िल करने के ल‍िए बड़ी योजना को मंजूरी दी है. इससे एक तरफ ई-कचरे का ढेर घटेगा और दूसरी तरफ क्रिटिकल मिनरल्स की घरेलू सप्लाई चेन बनेगी. तीसरी तरफ नौकरियों व निवेश का नया दरवाजा खुलेगा

भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियां, मोबाइल, लैपटॉप और सोलर पैनल जैसी तकनीक तेजी से बढ़ रही है. इन सबके लिए जिन खनिजों की जरूरत पड़ती है, उन्हें ही कहा जाता है ‘क्रिटिकल मिनरल्स’ यानी महत्वपूर्ण खनिज. इनमें लिथियम, कोबाल्ट, निकल, रेयर अर्थ जैसे तत्व शामिल हैं. अब तक भारत इन खनिजों के लिए लगभग पूरी तरह विदेशी इंपोर्ट पर निर्भर था. लेकिन बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाया. सरकार ने 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है, जिसके तहत अब खराब बैटरी और ई-कचरे से ही इन कीमती खनिजों को निकाला और रीसाइक‍िल किया जाएगा.

भारत में हर साल लाखों टन ई-कचरा निकलता है. मोबाइल फोन, लैपटॉप, टीवी, इलेक्ट्रिक गाड़ियां और यहां तक कि पुरानी गाड़ियों के पार्ट्स में भी दुर्लभ खनिज मौजूद होते हैं. अब तक ये कचरा या तो लैंडफिल में दबा दिया जाता था या बहुत छोटे स्तर पर ही रिसाइकल होता था. दूसरी तरफ, दुनिया में क्रिटिकल मिनरल्स की सप्लाई चेन पर चीन का दबदबा है. ऐसे में भारत के लिए जरूरी था कि वह खुद की घरेलू क्षमता विकसित करे. सरकार का मानना है कि आयात पर निर्भरता कम करना और घरेलू स्तर पर सप्लाई चेन मजबूत बनाना देश की रणनीतिक और आर्थिक सुरक्षा के लिए अनिवार्य है.
योजना से क्या बदलेगा?
नई योजना छह साल यानी 2030-31 तक चलेगी. इसके तहत ई-कचरा, लिथियम आयन बैटरी स्क्रैप और पुराने वाहनों के पार्ट्स से खनिज निकाले जाएंगे. बड़े उद्योगों के साथ-साथ स्टार्टअप और छोटे रीसाइक‍िल इंडस्‍ट्री को भी मौका मिलेगा. नई फैक्ट्रियां लगाने, क्षमता बढ़ाने और पुराने संयंत्रों को मॉडर्नाइज करने पर सरकार सब्सिडी देगी
कितना होगा फायदा?
सरकार का अनुमान है कि इस योजना से हर साल 270 किलो टन ई-कचरा रिसाइकल होगा. इसमें से करीब 40 किलो टन महत्वपूर्ण खनिज निकलेगा. देश में लगभग 8,000 करोड़ रुपये का निवेश आएगा. और करीब 70,000 प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी. यानी एक तीर से कई निशाने. कचरे की समस्या भी कम होगी, खनिजों का घरेलू उत्पादन भी बढ़ेगा और युवाओं को रोजगार भी मिलेगा.
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