वाजपेयी: जब केमिकल बम लिए हाईजैकर से 48 लोगों को बचाने प्लेन में घुस गए थे वाजपेयी

जब केमिकल बम लिए हाईजैकर से 48 लोगों को बचाने प्लेन में घुस गए थे वाजपेयी


कंधार में प्लेन हाईजैक हुआ. अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार आज तक उस चीज के लिए कोसी जाती है. पर प्लेन हाईजैकिंग का एक और किस्सा है. जब वाजपेयी प्लेन में घुसे और 48 ज़िंदगियां बचाई थीं. इसका कहीं कोई चर्चा नहीं होता. लेकिन लालजी टंडन ने ये बात अभी बताई है. आज तक न्यूज चैनल के एक पत्रकार को.  तो हम आप तक पहुंचा रहे हैं.
तो जिस बात का कहीं जिक्र तक नहीं होता वो बात है, 22 जनवरी 1993 की. जब एक आदमी ने लखनऊ से दिल्ली के लिए उड़ान भर रहे इंडियन एयरलाइन्स के प्लेन को हाईजैक कर लिया. लखनऊ से हवाई जहाज उड़ा ही था कि 15 मिनट की उड़ान के बाद प्लेन के अंदर एक आदमी ने कपड़े से लिपटे अपने हाथ में केमिकल बम होने की बात कही और कहा अब इस प्लेन को वापस लखनऊ ले चलो. फ्लाइट में सनाका खिंच गया. पायलट ने ‘प्लेन हाईजैक हो गया है’ ये खबर लखनऊ एयर ट्रैफिक कंट्रोल को दी. थोड़ी देर तक प्लेन को हवा में रखा और अंत में 45 मिनट बाद 48 यात्रियों वाला प्लेन वापस लखनऊ हवाई अड्डे पर उतर रहा था.

एयरपोर्ट पर हाईजैकिंग की खबर फ़ैल गई. प्लेन को एक किनारे लगाया गया और इस हाईजैकर से बात करने की कोशिश की गई. अभी किसी को मालूम नहीं था कि हाईजैकर को क्या चाहिए. बेचारे यात्री भी सुट्ट मारे बैठे थे.

वो जो टाइम था तब उत्तरप्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा था. अपोजीशन के सबसे तगड़े नेता हुआ करते थे अटल बिहारी वाजपेयी. उस रोज़ वो लखनऊ में ही थे. वाजपेयी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिल रहे थे. उसके बाद सर्किट हाउस में खाना शुरू ही किया था कि लखनऊ के तब के डीएम अशोक प्रियदर्शी, हांफते हुए कमरे मे आए. और वजह बताई. यहां भी सबको शॉक लग गया खबर सुन के सबके हाथ-पांव फूल गए. लेकिन अटल बिहारी ही क्यों? क्योंकि हाईजैकर उन्हीं को बुलाने की बात कह रहा था, उसका कहना था, अगर अटल बिहारी वाजपेयी नहीं आते तो वो हवाई जहाज को उड़ा देगा. उस वक्त मौके पर लाल जी टंडन भी थे. जिनके हवाले से ये बात पता चली है.
अटल निवाला ही तोड़ रहे थे, पहला कौर खाया था, फिर कहां खाना कहां पीना. गरम बंडी डाली और चुपचाप निकल लिए. एक ही गाड़ी में अटल जी और लालजी टंडन और अगली सीट पर डीएम निकले तो सीधे लखनऊ एयरपोर्ट रुके. हाईजैकर लगातार एटीसी वालों से बात कर रहा था. पर बात एक ही कह रहा था कि अटल बिहारी वाजपेयी से बात कराओ. वो लाइन में आएंगे तभी अपनी बात कहेगा.

अटल बिहारी वाजपेयी एटीसी पहुंचे, लाइन पर गए उससे बात की. वो मानने को तैयार ही नहीं था कि अटल जी लाइन पर हैं. फिर लगा धमकाने कि प्लेन उड़ा ही देगा. अब बात नहीं बन रही थी तो दूसरी तरीके से एक्शन लेने की बात चलने लगी. डायरेक्ट एक्शन लिया जाना तय हुआ लेकिन दिक्कत वही थी कि यात्री भी तो बैठे हैं, तो अटल जी ने कहा हमें अंदर ही जाने दो. पहले तो प्रशासन नहीं माना फिर कोई उपाय न देख उनको प्लेन तक जाने देने की बात तय हुई. वो भी सिक्योरिटी के साथ.
तो अब डीएम लालजी टंडन और अटल बिहारी वाजपेयी एक जीप में बैठकर प्लेन तक पहुंचे. वहां से भी एक बार उससे फिर बात करने की कोशिश की पर वो फिर आवाज पहचानने को तैयार ही नहीं था. सब समझ गए ये उनको अंदर बुलाना चाहता है. अब अटल जी ने पक्का किया कि प्लेन के अंदर तो जाना ही है. पहले डीएम अशोक प्रियदर्शी घुसे फिर लालजी टंडन प्लेन में घुसे. उसे समझाकर उतारने की कोशिश की लेकिन वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं था. फिर तो प्लेन के भीतर घुस ही गए. वो घुसे तो प्लेन के भीतर बैठे लोग भी जोश में आ गए.
अब सीन ये कि सामने अपहरणकर्ता और इधर सामने अटल बिहारी. अब तक उनके सिक्योरिटी गार्ड भी अंदर घुस चुके थे. लालजी टंडन ने हाईजैकर को समझाया. जिनसे तुम मिलना चाहते थे, वो वाजपेयी तुम्हारे सामने खड़े हैं. तुम्हारे लिए चलकर एयरक्राफ्ट में आए हैं. तुम अपनी मांग रखने के पहले उनका पैर छू लो. उसने बात मान ली जैसे ही झुका. गार्ड्स ने काबू में कर लिया.
अब जो केमिकल बम की बात थी. वो गलत निकली. उसने एक गोल सामान को बम बताकर प्लेन हाईजैक कर लिया था. अटल बिहारी वाजपेयी तक को प्लेन तक ले आया. पुलिस ले गई उसको, जनता अटल जी की जय-जयकार करने लगी. ये सीन खत्म हुआ तो लालजी टंडन ने प्लेन में नजर घुमाई. सीताराम केसरी चुपचाप बैठे थे. वो तब कांग्रेस के कोषाध्यक्ष थे और पूरे टाइम चुपचाप बैठे रहे.

सारे उस रात लखनऊ में ठहराए गए और अगले दिन उसी फ्लाइट से खुद अटल बिहारी वाजपेयी और लालजी टंडन उनके साथ दिल्ली तक आए. तो ये किस्सा लालजी टंडन के जरिये हम तक आया. फैक्ट्स उन्हीं ने बताए हैं. जिम्मेदारी उनकी. पर देखो अगर ऐसा हुआ तो अटलजी ने तो यार बड़ी बहादुरी का काम किया था.

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