कश्मीर के IAS टॉपर शाह फैसल बोले 'मेरा इस्तीफा केंद्र को चुनौती'
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फैसल ने कहा 'मॉब लिंचिंग की घटनाओं का बढ़ना भी मेरे इस्तीफा देने की एक वजह है.' |
‘कश्मीर में लगातार हत्याएं हो रही हैं. इसके बावजूद केंद्र सरकार किसी भी प्रकार की विश्वसनीय राजनीतिक पहल नहीं कर रही है. इसके विरोध में मैंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से इस्तीफा देने का फैसला किया है.’
इस्तीफे के बाद आज यानी 11 जनवरी को फैसल मीडिया के सामने आए. श्रीनगर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में फैसल ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. फैसल ने कहा मेरा इस्तीफा केंद्र सरकार को कश्मीरियों के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाने के लिए एक कठोर अवज्ञा का कार्य है. उन्होंने कहा-
‘केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर में विश्वसनीय राजनीतिक पहल का अभाव है. जिसका मैं विरोध कर रहा हूं. मेरे लिए ये महत्वपूर्ण है कि कश्मीरी लोगों के जीवन का सम्मान किया जाए. मॉब लिंचिंग की घटनाएं और सरकार द्वारा सीबीआई और एनआईए जैसी संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिशों ने मुझे इस्तीफा देने पर मजबूर किया है.’
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फैसल ने कहा ‘मॉब लिंचिंग की घटनाओं का बढ़ना भी मेरे इस्तीफा देने की एक वजह है. |
फैसल ने राजनीति में उतरने का ऐलान किया है. उन्होंने दावा किया कि वे कश्मीर में राजनीति की नई सिरे से शुरुआत करेंगे. प्रेस कॉन्फ्रेंस में फैसल ने कहा कि वे अगले लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी प्रस्तुत करेंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फैसल बारामूला से चुनाव लड़ सकते हैं.
‘फिलहाल किसी पार्टी के साथ नहीं जाएंगे’
फैसल ने उन सभी कयासों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा था कि वे नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ जुड़ेंगे. फैसल ने फिलहाल किसी राजनीतिक दल के साथ जाने से इंकार किया. फैसल ने कहा वे आगे का निर्णय लेने से पहले राज्य के युवाओं तक पहुंचने की कोशिश करेंगे. उनसे आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे. इसके बाद ही कोई फैसला करेंगे.
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दरअसल उमर अब्दुल्ला ने शाह फैसल के इस्तीफे पर कहा था इससे नौकरशाही का नुकसान है लेकिन राजनीति का फायदा है. इसके बाद ये चर्चा चल पड़ी थी कि फैसल नेशनल कॉन्फ्रेंस जॉइन कर सकते हैं.
‘कश्मीरी मुद्दों पर हमेशा मुखर रहे हैं’
शाह फैसल कश्मीर के शिक्षा निदेशक रह चुके है. फिलहाल वो स्टडी लीव पर विदेश गए थे. वापस आने के बाद 7 दिसंबर को उन्होंने वीआएस के लिए एप्लाई किया था. फैसल कश्मीर के मुद्दों को लेकर हमेशा मुखर रहते हैं. कई बार वो कश्मीर पर सरकार की नीतियों की सार्वजनिक तौर पर आलोचना कर चुके हैं.
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