अयोध्या : संवैधानिक पीठ की पहली सुनवाई में एक जज पर विवाद, जज हुए अलग
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में संविधान बेंच की पहली सुनवाई पूरी हो गई है. बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई में चार और जज एसए बोबडे, एनवी रमना, यूयू ललित और डीवाई चंद्रचूड़ थे. यह सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर होनी थी. माना जा रहा था कि इस सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस मामले की तारीख तय कर देंगे. कि कब से कब तक सुनवाई होगी. सुनवाई जल्द और नियमित होनी चाहिए या नहीं. तो क्या हुआ सुनवाई के दौरान, वो जान लीजिए –
# सुनवाई के दौरान सबसे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आज मामले की सुनवाई नहीं होगी बल्कि आज कोर्ट में मामले की सुनवाई के लिए समयसीमा तय होगी.
# फिर शुरू हुआ विवाद. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित पर सवाल उठाते हुए कहा कि 1994 में यूयू ललित कल्याण सिंह के लिए पेश हो चुके हैं. इस पर हिंदू पक्ष की ओर से आए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि जिस मामले में जस्टिस ललित पेश हुए थे, वह इस मामले से बिल्कुल अलग था. धवन इस पर बोले कि उनकी मांग जस्टिस ललित को बेंच से हटाना नहीं है. वो ये बस जानकारी के लिए बता रहे हैं.
# इस पर जस्टिस ललित ने खुद को बेंच से अलग करने का फैसला किया. जस्टिस यू यू ललित ने कहा कि जब वह वकील थे तब वह बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुनवाई के दौरान बतौर वकील एक पक्ष की तरफ से पेश हुए थे. इसलिए वो इस मामले से हटना चाहते हैं. चीफ जस्टिस ने इस पर कहा कि सभी जजों का मत भी यही है कि इस मामले में जस्टिस ललित का सुनवाई करना सही नहीं होगा.
# जस्टिस यूयू ललित के बेंच से हटने के बाद अब बेंच का गठन फिर से किया जाएगा. इसी लिए तय किया गया कि मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी को नई बेंच करेगी. तभी सुनवाई कैसे और कितने दिनों में होगी, ये तय होगा.
# सुनवाई के दौरान सीजेआई ने ये भी जानने की कोशिश की कि इस मामले में जो 13,860 पन्ने के दस्तावेज रखे जाने हैं. वो ट्रांसलेट हुए कि नहीं. क्योंकि इनमें कुछ दस्तावेज हिंदी, अरबी, गुरुमुखी और उर्दू में हैं. इन दस्तावेजों की जांच के निर्देश सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को दिए गए हैं. इन दस्तावेजों को 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जा सकता है.
# पहले इस मामले की सुनवाई पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली तीन सदस्यीय बेंच कर रही थी. 2 अक्टूबर को उनके रिटायर होने के बाद इस केस को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली दो सदस्यीय बेंच में सूचीबद्ध किया गया. इस बेंच ने 4 जनवरी को केस की सुनवाई की तारीख 10 जनवरी तय की थी. साथ ही मामला संविधान बेंच के पास भेजा था.
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