कॉमनवेल्थ गोल्ड विजेता और मंत्री से भिड़ने वाली मनु के विवाद की असली कहानी

कॉमनवेल्थ गोल्ड विजेता और मंत्री से भिड़ने वाली मनु के विवाद की असली कहानी


हरियाणा के झज्जर जिले का गोरिया गांव एक शूटर के लिए जाना जाता है. ये शूटर हैं 16 साल की मनु भाकर. गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में शूटिंग में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाली मनु भाकर. राष्ट्रमंडल खेलों में 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग के रिकॉर्ड को तोड़ने वाली मनु भाकर. कॉमनवेल्थ गेम्स में तो गोल्ड क्या, मनु कोई भी पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की इंडियन हैं. पर वो इस वक्त गुस्सा हैं. उनका आरोप है कि हरियाणा सरकार ने इन मेडल्स के जीतने पर उन्हें जो इनाम देने की घोषणा की थी. वो नहीं दिए. ये नाराजगी उन्होंने 4 जनवरी को एक ट्वीट के जरिए जाहिर की. इसमें उन्होंने हरियाणा के खेल मंत्री अनिल विज के एक पुराने ट्वीट पर कमेंट करते हुए लिखा – सर, प्लीज कंफर्म करिए. ये सही है या गलत. या सिर्फ जुमला है.

दरअसल अनिल विज ने 10 अक्टूबर को मनु के गोल्ड कोस्ट में गोल्ड जीतने पर 2 करोड़ के इनाम की घोषणा की थी. पर फिर कुछ नियम बदले और ये राशि 1 करोड़ हो गई. इससे मनु और उनका परिवार नाराज हुआ. और मामला सोशल मीडिया पर पहुंच गया. 4 जनवरी को ही मनु ने एक और ट्वीट किया. इसमें उन्होंने खिलाड़ियों की प्राइज मनी के साथ हो रहे ‘खेल’ की बात कही थी.

इन ट्वीट्स से हड़कंप मच गया. मंत्री अनिल विज ने भी नाराजगी जताई. साथ ही मनु भाकर को नसीहत भी दे डाली. कहा-
खिलाड़ियों को अनुशासन में रहना चाहिए. इस तरह के विवाद खड़े करने के लिए मनु भाकर को खेद होना चाहिए. उन्हें अभी लंबा रास्ता तय करना है. वो केवल अपने खेल पर ही ध्यान दें. लोगों के बीच जाने से पहले मनु को स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट से इसकी पुष्टि कर लेनी चाहिए थी.
इस नसीहत के साथ ही मंत्री जी ने ये भी साफ कर दिया कि मनु को पूरा पैसा मिलेगा. उन्होंने लिखा –
(मनु) भाकर को मेरे ट्वीट और उस वक़्त के नोटिफिकेशन के मुताबिक 2 करोड़ रूपये ज़रूर ज़रूर ज़रूर मिलेंगे.


अब विवाद की पूरी कहानी समझ लीजिए
ये सारा विवाद दरअसल सरकार के दो गजट की वजह से हुआ है. पहला गजट आया 7 सितंबर 2018 को. इस नोटिफिकेशन में यूथ ओलंपिक में स्वर्ण जीतने पर इनाम की राशि 10 लाख से बढ़ाकर दो करोड़ कर दी गई. लेकिन 27 दिसंबर 2018 को दूसरा गजट आया. इसमें इनाम की राशि 2 करोड़ से घटाकर एक करोड़ कर दी गई.
सरकार का सितम्बर में जो पहला नोटिफिकेशन आया था, उसमें एक गलती हो गई थी. इसमें सीनियर लेवेल के नीचे आने वाली जूनियर और सब जूनियर लेवल की दो कैटिगरीज के लिए एक ही प्राइज मनी घोषित कर दी गई थी. जबकि सब जूनियर में 17 और उससे कम उम्र के खिलाड़ी होते हैं. वहीं 17 से 21 के बीच के खिलाड़ी जूनियर कैटिगरी में होते हैं. अब नियम क्या है. वो समझिए. दरअसल हरियाणा में ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी को 6 करोड़ मिलते हैं. इसी तर्ज पर यूथ गेम्स में जूनियर खिलाड़ियों के लिए ओलंपिक्स में दिए जाने वाले रेट का एक तिहाई यानी कुल 2 करोड़ देने का प्रावधान किया गया. और 17 या उससे कम उम्र के खिलाड़ी यानि सब जूनियर्स के लिए ओलिंपिक का 1/6 यानि 1 करोड़ दिया जाना तय हुआ. पर ये सब हुआ था पहले गजट में. इस कंफ्यूजन को दूर करने के लिए ही दूसरा नोटिफिकेशन लाया गया. और जूनियर व सब जूनियर दोनों के लिए एक करोड़ का प्राइज मनी तय कर दिया गया. पर जब ये सब बदलाव चल रहे थे. यानि 7 सितंबर और 27 दिसंबर के बीच ही मनु ने मेडल जीत लिया. और अब वो दो करोड़ रुपये चाहती हैं. उनको लग रहा है कि नए नोटिफिकेशन से उनका प्रति मेडल 1 करोड़ का नुकसान हो जाएगा.


2019-20 में ही मनु के अवॉर्ड दिए जाएंगे – खेमका
मामले में हमने सीनियर आईएएस अधिकारी अशोक खेमका से बात की जो फिलहाल खेल मंत्रालय में प्रिंसिपल सेक्रेटरी हैं. उन्होंने बताया कि मनु के अकाउंट से जो ट्वीट हुआ, उसमें ‘जुमला’ शब्द को बड़े शातिर तरीके से इस्तेमाल किया गया. ताकि सरकार को घुटनों पर लाया जा सके. पॉलिसी ये है कि एक साल में घोषित किए गए सारे अवॉर्ड्स फाइनेंसियल ईयर के आखिर में दिए जाते हैं. पिछले साल के अवार्ड्स इस साल दिए जाएंगे. इसी तरह मनु को 2019-20 में ही उनके अवॉर्ड दिए जाएंगे.
खेमका के अनुसार ये आधिकारिक स्तर पर की गई एक गलती से ज्यादा कुछ नहीं थी. अब चूंकि मनु उस बीच गोल्ड जीत चुकी हैं और मंत्री जी वादा भी कर चुके हैं इसलिए उन्हें पूरे पैसे ज़रूर मिलेंगे और पुरानी पॉलिसी के अनुसार ही मिलेंगे. लेकिन आगे आने वाले खिलाड़ियों के लिए ये राशि एक करोड़ ही होगी.


अशोक खेमका का मानना है कि आधिकारिक स्तर पर हुई चूक का खामियाजा सरकार को एक करोड़ अतिरिक्त चुकाकर भुगतना पड़ेगा. इसके लिए मंत्री को नहीं घसीटना चाहिए. केंद्र सरकार के स्तर पर भी यही पॉलिसी है. खेमका ये भी बोले कि जो भी विवाद हुआ, वो नहीं होना चाहिए था. मनु ने एक लेटर लिखकर भी ये पूछा होता तो भी सरकार बता देती. लिखित में जवाब देते. लेकिन इस तरह ओपन प्लेटफ़ॉर्म पर विवाद लेकर नहीं जाना चाहिए था.
मामले में मनु के पिता रामकिशन भाकर काफी गुस्से में दिखे. उनसे जब इस मुद्दे पर बात की तो वो खेमका पर ही बरस पड़े. बोले –
खेमका को गेम्स का ए बी सी भी नहीं पता. हमें मंत्री से आश्वासन मिल चुका है. मंत्री ने वादा दिया है. हम संतुष्ट हैं. इन्हें खेल को बर्बाद करना है, वो ये कर रहे हैं.
मनु ने पूरे प्राइज मनी के मिलने के मंत्री अनिल विज के बयान के बाद क्या कहा, वो भी जान लीजिए. वो बोलीं-
शुरुआत में ये राशि 10 लाख थी, फिर इसे 2 करोड़ कर दिया गया. मैंने अपने खेल में इन्वेस्ट करने के लिए प्लानिंग की हुई थी. जब ये राशि 1 करोड़ की गई तो मुझे अजीब लगा. ये जानकर अच्छा लगा कि इसे फिर से 2 करोड़ कर दिया गया है.

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