ISRO के NISAR सैटेलाइट का सफल लॉन्च, धरती की निगरानी में होगा मददगार
धरती की निगरानी के लिए दुनिया के सबसे महंगे सिविलियन अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट NISAR का बुधवार को आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा से सफल लॉन्च किया गया। इस सैटेलाइट को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के साथ मिलकर बनाया है।
NISAR (NASA-ISRO सिंथेटिक अपार्चर राडार सैटेलाइट) को ISRO ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक ट्वीट में बताया कि आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से 5:40 p.m. (भारतीय समय के अनुसार) लॉन्च गया है। इसके लिए पिकअप ट्रक के साइज के स्पेसक्राफ्ट का इस्तेमाल किया गया है। इस सैटेलाइट के ऑर्बिट में पहुंचने के बाद इसके डुअल-फ्रीक्वेंसी राडार एक दिन में धरती का 14 बार चक्कर लगाएंगे। इससे प्रत्येक 12 दिनों में धरती पर सभी जमीन और बर्फ की सतहों की स्कैनिंग की जाएगी। ISRO और NASA के बीच इस तरह का यह पहला कोलेब्रेशन है।
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ISRO ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में बताया कि GSLV-F16 को NISAR के साथ सफलता से लॉन्च किया गया है। इससे वैज्ञानिकों को मिट्टी की नमी की निगरानी करने में आसानी होगी। इसके साथ ही भूस्खलन और बाढ़ जैसे खतरों का बेहतर तरीके से आकलन किया जा सकेगा। ISRO के चेयरमैन, V Narayanan ने कहा कि यह सैटेलाइट टेक्नोलॉजी में भारत के अग्रणी भूमिका निभाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उनका कहना था, "रूस के सहयोग से भारत के पहले सैटेलाइट, Aryabhata के लॉन्च के बाद से कई वर्षों तक सैटेलाइट टेक्नोलॉजी के लिए हम अन्य देशों पर निर्भर थे। हम अब एक नेतृत्व वाली भूमिका हासिल कर रहे हैं। दो महान देशों ने मिलकर एक महत्वपूर्ण सैटेलाइट बनाया है। मुझे इससे बहुत खुशी है कि इसे देश की धरती से हमारे लॉन्च व्हीकल के जरिए लॉन्च किया जा रहा है।" यह सैटेलाइट धरती की सतह पर 1 सेंटीमीटर जितने बदलाव को भी रिकॉर्ड कर सकेगा।
NISAR के लिए NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (JPL) ने लॉन्ग-वेवलेंथ L-बैंड राडार बनाया है। भारत के स्पेस एप्लिकेशंस सेंटर ने इस सैटेलाइट के शॉर्टर-वेवलेंथ S-बैंड राडार का निर्माण किया है। इस डुअल-फ्रीक्वेंसी डिजाइन से NISAR दो राडार सिस्टम वाला पहला अर्थ सैटेलाइट है। यह सैटेलाइट धरती पर ग्लेशियर पिघलने और समुद्र का स्तर बढ़ने जैसे खतरों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराएगा।
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